lalittripathi@rediffmail.com

Quotes

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-258

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनहु देव सचराचर स्वामी, प्रनतपाल उर अंतरजामी, उर कछु प्रथम बासना रही, प्रभु पद प्रीति सरित सो बही ।। भावार्थ:- (विभीषण जी ने कहा) हे देव! हे चराचर जगत के स्वामी ! हे शरणागत के...

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-256

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनु लंकेस सकल गुन तोरें, तातें तुम्ह अतिसय प्रिय मोरें, राम बचन सुनि बानर जूथा, सकल कहहिं जय कृपा बरूथा ।। भावार्थ:- हे लंकापति ! सुनो, तुम्हारे अंदर उपर्युक्त सब गुण हैं। इससे तुम मुझे...

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-255

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सगुन उपासक परहित निरत नीति दृढ़ नेम, ते नर प्रान समान मम जिन्ह कें द्विज पद प्रेम ।। भावार्थ:- जो सगुण (साकार) भगवान के उपासक हैं, दूसरे के हित में लगे रहते हैं, नीति और...

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-254

जय श्री राधे कृष्ण ….. "अस सज्जन मम उर बस कैसें, लोभी हृदयँ बसइ धनु जैसें, तुम्ह सारिखे संत प्रिय मोरें, धरउँ देह नहिं आन निहोरें ।। भावार्थ:- ऐसा सज्जन मेरे हृदय में कैसे बसता है, जैसे लोभी के हृदय...

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-253

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सब कै ममता ताग बटोरी, मम पद मनहि बांध बरि डोरी, समदरसी इच्छा कछु नाहीं, हरष सोक भय नहिं मन माहीं ।। भावार्थ:- इन सब के ममत्व रुपी तागों को बटोर कर और उन सब...

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-252

जय श्री राधे कृष्ण ….. "तजि मद मोह कपट छल नाना, करउँ सद्य तेहि साधु समाना, जननी जनक बंधु सुत दारा, तनु धनु भवन सुहृद परिवारा ।। भावार्थ:- और मद, मोह तथा नाना प्रकार के छल कपट त्याग दे तो...

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-251

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनहु सखा निज कहउँ सुभाऊ, जान भुसुंडि संभु गिरिजाऊ, जौं नर होइ चराचर द्रोही, आवै सभय सरन तकि मोही ।। भावार्थ:- (श्री राम जी ने कहा) हे सखा! सुनो, मैं तुम्हें अपना स्वभाव कहता हूँ,...

Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-

जय श्री राधे कृष्ण ….. "अहोभाग्य मम अमित अति राम कृपा सुख पुंज, देखेउँ नयन बिरंचि सिव सेब्य जुगल पद कंज ।। भावार्थ:- हे कृपा और सुख के पुंज श्री राम जी! मेरा अत्यंत असीम सौभाग्य है, जो मैंने ब्रह्मा...

Quotes

सुविचार

जय श्री राधे कृष्ण ….. "मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ, सुभ आचरनु कीन्ह नहिं काऊ, जासु रुप मुनि ध्यान न आवा, तेहिं प्रभु हरषि हृदयँ मोहि लावा ।। भावार्थ:- मैं अत्यंत नीच स्वभाव का राक्षस हूँ। मैंने कभी शुभ आचरण...

1 42 43 44 120
Page 43 of 120