सुविचार-सुन्दरकाण्ड-276
जय श्री राधे कृष्ण ….. "कहेहु मुखागर मूढ़ सन मम संदेसु उदार, सीता देइ मिलहु न त आवा कालु तुम्हार ।। भावार्थ:- फिर उस मूर्ख से जबानी यह मेरा उदार (कृपा से भरा हुआ) संदेश कहना कि सीता जी को...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "कहेहु मुखागर मूढ़ सन मम संदेसु उदार, सीता देइ मिलहु न त आवा कालु तुम्हार ।। भावार्थ:- फिर उस मूर्ख से जबानी यह मेरा उदार (कृपा से भरा हुआ) संदेश कहना कि सीता जी को...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "*सुनि लछिमन सब निकट बोलाए,दया लागि हँसि तुरत छोड़ाए,रावन कर दीजहु यह पाती, लछिमन बचन बाचु कुलघाती ।। भावार्थ:- यह सुन कर लक्ष्मण जी ने सब को निकट बुलाया। उन्हें बड़ी दया लगी। इससे हँस...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "बहु प्रकार मारन कपि लागे, दीन पुकारत तदपि न त्यागे, जो हमार हर नासा काना, तेहि कोसलाधीस कै आना ।। भावार्थ:- वानर उन्हें बहुत तरह से मारने लगे। वे दीन होकर पुकारते थे । फिर...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "कह सुग्रीव सुनहु सब बानर, अंग भंग करि पठवहु निसिचर, सुनि सुग्रीव बचन कपि धाए, बांधि कटक चहु पास फिराए ।। भावार्थ:- सुग्रीव ने कहा - सब वानरो ! सुनो, राक्षसों के अंग भंग करके...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ, अति सप्रेम गा बिसरि दुराऊ, रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने, सकल बांधि कपीस पहिं आने ।। भावार्थ:- फिर वे प्रकट रूप में भी अत्यंत प्रेम के साथ श्री राम जी...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "सकल चरित तिन्ह देखे धरें कपट कपि देह, प्रभु गुन हृदयँ सराहहिं सरनागत पर नेह ।। भावार्थ:- कपट से वानर का शरीर धारण कर उन्होंने सब लीलाएं देखीं। वे अपने ह्रदय में प्रभु के गुणों...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "प्रथम प्रनाम कीन्ह सिरु नाई, बैठे पुनि तट दर्भ डसाई, जबहिं बिभीषन प्रभु पहिं आए, पाछें रावन दूत पठाए ।। भावार्थ:- उन्होंने पहले सिर नवा कर प्रणाम किया। फिर किनारे पर कुश बिछा कर बैठ...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनत बिहसि बोले रघुबीरा, ऐसहिं करब धरहु मन धीरा, अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई, सिंधु समीप गए रघुराई ।। भावार्थ:- यह सुन कर श्री रघुवीर हँस कर बोले - ऐसे ही करेंगे, मन में धीरज...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "नाथ दैव कर कवन भरोसा, सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा, कादर मन कहुँ एक अधारा, दैव दैव आलसी पुकारा ।। भावार्थ:- (लक्ष्मण जी ने कहा) हे नाथ ! दैव का कौन भरोसा ! मन में...
जय श्री राधे कृष्ण ….. "सखा कही तुम्ह नीकि उपाई, करिअ दैव जौं होइ सहाई, मंत्र न यह लछिमन मन भावा, राम बचन सुनि अति दुख पावा ।। भावार्थ:- (श्री राम जी ने कहा) हे सखा! तुमने अच्छा उपाय बताया...