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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-286

जय श्री राधे कृष्ण ….. "द्विबिद मयंद नील नल अंगद गद बिकटासि, दधिमुख केहरि निसठ सठ जामवंत बलरासि ।। भावार्थ:- द्विविद, मयंद, नील, नल , अंगद , गद, विकटास्य, दधिमुख, केसरी, निशठ, शठ और जाम्बवान ये सभी बलों की राशि...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-285

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जेहिं पुर दहेउ हतेउ सुत तोरा, सकल कपिन्ह महँ तेहि बलु थोरा, अमित नाम भट कठिन कराला, अमित नाग बल बिपुल बिसाला ।। भावार्थ:- जिसने नगर को जलाया और आपके पुत्र अक्षय कुमार को मारा,...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-284

जय श्री राधे कृष्ण ….. "पूँछिहु नाथ राम कटकाई, बदन कोटि सत बरनि न जाई, नाना बरन भालु कपि धारी, बिकटानन बिसाल भयकारी ।। भावार्थ:- हे नाथ! आपने श्री राम जी की सेना पूछी, सो वह तो सौ करोड़ मुखों...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-283

जय श्री राधे कृष्ण ….. "रावन दूत हमहि सुनि काना, कपिन्ह बाँधि दीन्हें दुख नाना, श्रवन नासिका काटैं लागे, राम सपथ दीन्हें हम त्यागे ।। भावार्थ:- हम रावण के दूत हैं, यह कानों से सुन कर वानरों ने हमें बाँध...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-282

जय श्री राधे कृष्ण ….. "नाथ कृपा करि पूँछेहु जैसें, मानहु कहा क्रोध तजि तैसें, मिला जाइ जब अनुज तुम्हारा, जातहिं राम तिलक तेहि सारा ।। भावार्थ:- (दूत ने कहा) हे नाथ ! आपने जैसे कृपा कर के पूछा है,...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-281

जय श्री राधे कृष्ण ….. "की भइ भेंट कि फिरि गए श्रवन सुजसु सुनि मोर, कहसि न रिपु दल तेज बल बहुत चकित चित तोर ।। भावार्थ:- उनसे तेरी भेंट हुई या वे कानों से मेरा सुयश सुन कर ही...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-280

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जिन्ह के जीवन कर रखवारा, भयउ मृदुल चित सिंधु बिचारा, कहु तपसिन्ह कै बात बहोरी, जिन्ह के हृदयँ त्रास अति मोरी ।। भावार्थ:- और जिनके जीवन का रक्षक कोमल चित्त वाला बेचारा समुद्र बन गया...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-279

जय श्री राधे कृष्ण ….. "करत राज लंका सठ त्यागी, होइहि जव कर कीट अभागी, पुनि कहु भालु कीस कटकाई, कठिन काल प्रेरित चलि आई ।। भावार्थ:- मूर्ख ने राज्य करते हुए लंका को त्याग दिया। अभागा अब जौ का...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-278

जय श्री राधे कृष्ण ….. "बिहसि दसानन पूँछी बाता, कहसि न सुक आपनि कुसलाता, पुनि कहु खबरि बिभीषन केरी, जाहि मृत्यु आई अति नेरी ।। भावार्थ:- दसमुख रावण ने हँसकर बात पूछी - अरे शुक! अपनी कुशल क्यों नहीं कहता...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-277

जय श्री राधे कृष्ण ….. "तुरत नाइ लछिमन पद माथा, चले दूत बरनत गुन गाथा, कहत राम जसु लंकाँ आए, रावन चरन सीस तिन्ह नाए ।। भावार्थ:- लक्ष्मण जी के चरणों में मस्तक नवा कर श्री राम जी के गुणों...

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