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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-296

जय श्री राधे कृष्ण ….. "*रामानुज दीन्हीं यह पाती, नाथ बचाइ जुडा़वहु छाती, बिहसि बाम कर लिन्हीं रावन, सचिव बोलि सठ लाग बचावन ।। भावार्थ:- (और कहा) श्री राम जी के छोटे भाई लक्ष्मण ने यह पत्रिका दी है ।...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-295

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सचिव सभीत बिभीषन जाकें, बिजय बिभूति कहाँ जग ताकें, सुनि खल बचन दूत रिस बाढ़ी, समय बिचारि पत्रिका काढ़ी ।। भावार्थ:- जिसके विभीषण जैसा डरपोक मंत्री हो, उस के लिए संसार में विजय और विभूति...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-294

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सहज भीरु कर बचन दृढा़ई, सागर सन ठानी मचलाई, मूढ़ मृषा का करसि बड़ाई, रिपु बल बुद्धि थाह मैं पाई ।। भावार्थ:- स्वाभाविक ही डरपोक विभीषण के वचन को प्रमाण करके उन्होंने समुद्र से मचलना...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-293

जय श्री राधे कृष्ण ….. "तासु बचन सुनि सागर पाहीं, मागत पंथ कृपा मन माहीं, सुनत बचन बिहसा दससीसा, जौं असि मति सहाय कृत कीसा ।। भावार्थ:- उनके (आपके भाई) के वचन सुन कर वे (श्री राम जी) समुद्र से...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-292

जय श्री राधे कृष्ण ….. "राम तेज बल बुधि बिपुलाई, सेष सहस सत सकहिं न गाई, सक सर एक सोषि सत सागर, तव भ्रातहिं पूँछेउ नय नागर ।। भावार्थ:- श्री रामचंद्र जी के तेज (सामर्थ्य) बल और बुद्धि की अधिकता...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-291

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सहज सूर कपि भालु सब पुनि सिर पर प्रभु राम, रावन काल कोटि कहुँ जीति सकहिं संग्राम ।। भावार्थ :- सब वानर - भालू सहज ही शूरवीर हैं, फिर उनके सिर पर प्रभु (सर्वेश्वर) श्री...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-290

जय श्री राधे कृष्ण ….. "मर्दि गर्द मिलवहिं दससीसा, ऐसहि बचन कहहिं सब कीसा, गर्जहिं तर्जहिं सहज असंका, मानहुँ ग्रसन चहत हहिं लंका ।। भावार्थ:- और रावण को मसल कर धूल में मिला देंगे। सब वानर ऐसे ही वचन कह...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-289

जय श्री राधे कृष्ण ….. "परम क्रोध मीजहिं सब हाथा, आयसु पै न देहिं रघुनाथा, सोषहिं सिंधु सहित झष ब्याला, पूरहिं न त भरि कुधर बिसाला ।। भावार्थ:- सब के सब अत्यंत क्रोध से हाथ मींजते हैं । पर श्री...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-288

जय श्री राधे कृष्ण ….. "अस मैं सुना श्रवन दसकंधर, पदुम अठारह जूथप बंदर, नाथ कटक महँ सो कपि नाहीं, जो न तुम्हहि जीतै रन माहीं ।। भावार्थ:- हे दशग्रीव! मैंने कानों से ऐसा सुना है कि अठारह पद्म तो...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-287

जय श्री राधे कृष्ण ….. "कपि सब सुग्रीव समाना, इन्ह सम कोटिन्ह गनइ को नाना, राम कृपा अतुलित बल तिन्हहीं, तृन समान त्रैलोकहि गनहीं ।। भावार्थ:- यह सब वानर बल में सुग्रीव के समान हैं और इनके जैसे (एक -...

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