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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-305

जय श्री राधे कृष्ण ….. "लछिमन बान सरासन आनू, सोषौं बारिधि बिसिख कृसानू, सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीती, सहज कृपन सन सुंदर नीती ।। भावार्थ:- हे लक्ष्मण ! धनुष - बाण लाओ, मैं अग्निबाण से समुद्र को सोख डालूँ...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-304

जय श्री राधे कृष्ण ….. "बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति, बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति ।। भावार्थ:- इधर तीन दिन बीत गए, किंतु जड़ समुद्र विनय नहीं मानता । तब श्री राम...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-303

जय श्री राधे कृष्ण ….. "रिषि अगस्ति कीं साप भवानी, राछस भयउ रहा मुनि ग्यानी, बंदि राम पद बारहिं बारा, मुनि निज आश्रम कहुँ पगु धारा ।। भावार्थ:- (शिव जी कहते हैं) हे भवानी ! वह ज्ञानी मुनि था, अगस्त...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-302

जय श्री राधे कृष्ण ….. "नाइ चरन सिरु चला सो तहाँ, कृपासिंधु रघुनायक जहाँ, करि प्रनामु निज कथा सुनाई, राम कृपा आपनि गति पाई ।। भावार्थ:- वह भी (विभीषण की भाँति) चरणों में सिर नवा कर वहीं चला, जहाँ कृपा...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-301

जय श्री राधे कृष्ण ….. "जनकसुता रघुनाथहि दीजे, एतना कहा मोर प्रभु कीजे, जब तेहिं कहा देन बैदेही, चरन प्रहार कीन्ह सठ तेही ।। भावार्थ:- जानकी जी श्री रघुनाथ जी को दे दीजिए। हे प्रभु इतना कहना मेरा कीजिए ।...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-300

जय श्री राधे कृष्ण ….. "अति कोमल रघुबीर सुभाऊ, जद्यपि अखिल लोक कर राऊ, मिलत कृपा तुम्ह पर प्रभु करिही, उर अपराध न एकउ धरिही ।। भावार्थ:- यद्यपि श्री रघुवीर समस्त लोकों के स्वामी हैं, पर उन का स्वभाव अत्यंत...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-299

जय श्री राधे कृष्ण ….. "कह सुक नाथ सत्य सब बानी, समुझहु छाड़ि प्रकृति अभिमानी, सुनहु बचन मम परिहरि क्रोधा, नाथ राम सन तजहु बिरोधा ।। भावार्थ:- शुक (दूत) ने कहा - हे नाथ! अभिमानी स्वभाव को छोड़ कर (इस...

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वाल्मीकि रामायण भाग 13

वाल्मीकि रामायण भाग 13रात बीती और पुष्य नक्षत्र में राज्याभिषेक का शुभ मुहूर्त आ गया। अपने शिष्यों के साथ महर्षि वसिष्ठ राज्याभिषेक की आवश्यक सामग्री लेकर राजा दशरथ के अंतःपुर में पहुंचे। उन्होंने मंत्री सुमन्त्र से कहा, "सूत! तुम शीघ्र...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-298

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनत सभय मन मुख मुसकाई, कहत दसानन सबहि सुनाई, भूमि परा कर गहत अकासा, लघु तापस कर बाग बिलासा ।। भावार्थ:- पत्रिका सुनते ही रावण मन में भयभीत हो गया, परंतु मुख से (ऊपर से)...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-297

जय श्री राधे कृष्ण ….. "बातन्ह मनहि रिझाइ सठ जनि घालसि कुल खीस, राम बिरोध न उबरसि सरन बिष्नु अज ईस ।। भावार्थ:- (पत्रिका में लिखा था) अरे मूर्ख ! केवल बातों से ही मन को रिझा कर अपने कुल...

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