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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-315

जय श्री राधे कृष्ण ….. "नाथ नील नल कपि द्वौ भाई, लरिकाईं रिषि आसिष पाई, तिन्ह कें परस किएँ गिरि भारे, तरिहहिं जलधि प्रताप तुम्हारे ।। भावार्थ:- (समुद्र ने कहा), हे नाथ ! नील और नल दो वानर भाई हैं।...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-314

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सुनत बिनीत बचन अति कह कृपाल मुसुकाइ, जेहि बिधि उतरै कपि कटकु तात सो कहहु उपाइ ।। भावार्थ:- समुद्र के अत्यंत विनीत वचन सुन कर कृपालु श्री राम जी ने मुस्कुरा कर कहा - हे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-313

जय श्री राधे कृष्ण ….. "प्रभु प्रताप मैं जाब सुखाई, उतरिहि कटकु न मोरि बड़ाई, प्रभु आग्या अपेल श्रुति गाई, करौं सो बेगि जो तुम्हहि सोहाई ।। भावार्थ:- प्रभु के प्रताप से मैं सूख जाऊँगा और सेना पार उतर जाएगी,...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-312

जय श्री राधे कृष्ण ….. "प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं, मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं, ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी ।। भावार्थ:- प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा (दंड) दी, किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव)...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-311

जय श्री राधे कृष्ण ….. "तव प्रेरित मायाँ उपजाए, सृष्टि हेतु सब ग्रंथनि गाए, प्रभु आयसु जेहि कहँ जस अहई, सो तेहि भांति रहें सुख लहई ।। भावार्थ:- आप की प्रेरणा से माया ने इन्हें सृष्टि के लिए उत्पन्न किया...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-310

जय श्री राधे कृष्ण ….. "सभय सिंधु गहि पद प्रभु केरे, छमहु नाथ सब अवगुन मेरे, गगन समीर अनल जल धरनी, इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी ।। भावार्थ:- समुद्र ने भयभीत होकर प्रभु के चरण पकड़ कर कहा- हे...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-309

जय श्री राधे कृष्ण ….. "काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच, बिनय न मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच ।। भावार्थ:- (काकभुशुण्डि जी कहते हैं), हे गरुड़ जी! सुनिये । चाहे कोई करोड़ों उपाय कर के सींचे,...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-308

जय श्री राधे कृष्ण ….. "मकर उरग झष गन अकुलाने, जरत जंतु जलनिधि जब जाने, कनक थार भरि मनि गन नाना, बिप्र रूप आयउ तजि माना ।। भावार्थ:- मगर, सौंप तथा मछलियों के समूह व्याकुल हो गए। जब समुद्र ने...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-307

जय श्री राधे कृष्ण ….. "अस कहि रघुपति चाप चढ़ावा, यह मत लछिमन के मन भावा, संधानेउ प्रभु बिसिख कराला, उठी उदधि उर अंतर ज्वाला ।। भावार्थ:- ऐसा कह कर श्री रघुनाथ जी ने धनुष चढ़ाया। यह मत लक्ष्मण जी...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-306

जय श्री राधे कृष्ण ….. "ममता रत सन ग्यान कहानी, अति लोभी सन बिरति बखानी, क्रोधिहि सम कामिहि हरिकथा, ऊसर बीज बएँ फल जथा ।। भावार्थ:- ममता में फँसे हुए मनुष्य से ज्ञान की कथा, अत्यंत लोभी से वैराग्य का...

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