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जिन्दगी का सफर

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जिन्दगी का सफर

तीन नौजवान एक बड़े होटल में ठहरे,75वीं मंजिल पर कमरा मिला…एक रात लेट हो गए…रात के 12 बजे लिफ्ट किसी कारण से बन्द थी..तीनो सीढिया चढने लगे…बोरियत दूर करने के लिये एक ने चुटकुला सुनाया और पच्चीसवी मंजिल तक आ गए ।

दूसरे ने गाना सुनाया और पचासवीं मंजिल तक आ गए ।

और तीसरे ने सेहत पर किस्सा सुनाया और 75वीं मंजिल पर आ गए कमरे के दरवाजे पर पहुंचे तो याद आया कि कमरे की चाबी स्वागत कक्ष (Reception) पर ही भूल गए…तीनो बेदम होकर गिर पडे..।।

इसी तरह इंसान भी अपनी जिदंगी के 25 साल खेल-कूद, हंसी मजाक में व्यर्थ करता है…अगले 25 साल नौकरी, शादी, बच्चे और उनकी शादी में गुजार देता है….और आगे 25 साल जिंदा रहे तो बीमारी, डॉक्टर, अस्पताल मे गुजर जाते हैं…रने के बाद पता चलता है कि परमात्मा के द्वार की चाबी तो लाए ही नहीं…दुनिया में ही रह गई…

प्रभु का स्मरण ही परमात्मा के द्वार की चाबी है…तो आइए अपने कर्तव्य करते हुए हर समय प्रभु का सुमिरन करे…और अच्छे कर्म करे ताकि भगवान के द्वार पर जाकर पछताना ना पड़े..!!

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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