सहयोग माँगना बुद्धिमत्ता की निशानी है
एक छोटी लड़की और उसके पिता जंगल के रास्ते पर चल रहे थे। अचानक उन्हें सामने ज़मीन पर एक बड़ी पेड़ की टहनी पड़ी दिखाई दी। लड़की ने अपने पिता से पूछा, “अगर मैं कोशिश करूँ, तो क्या आपको लगता है कि मैं उस टहनी को हिला पाऊँगी?”
उसके पिता ने जवाब दिया, “मुझे यकीन है कि तुम कर सकती हो, अगर तुम अपनी पूरी ताकत लगाओ।”
लड़की ने टहनी को उठाने या धकेलने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह इतनी मज़बूत नहीं थी कि उसे हिला न सकी।
उसने निराश होकर कहा, “आप गलत थे, पिताजी। मैं इसे हिला नहीं सकती।”
“अपनी पूरी ताकत से फिर कोशिश करो,” उसके पिता ने जवाब दिया। लड़की ने फिर से टहनी को धकेलने की बहुत कोशिश की। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं हिली।
“पिताजी, मैं ऐसा नहीं कर सकती,” लड़की ने कहा।
आखिरकार, उसके पिता ने कहा, “युवती, मैंने तुम्हें ‘अपनी पूरी ताकत’ लगाने की सलाह दी थी। तुमने ऐसा नहीं किया। तुमने मेरी मदद नहीं माँगी।”
“हमारी असली ताकत स्वतंत्रता में नहीं, बल्कि परस्पर निर्भरता में है।”
किसी भी व्यक्ति में अपनी दृष्टि को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए आवश्यक सभी शक्तियाँ, सभी संसाधन और सभी सहनशक्ति नहीं होती। जब हमें आवश्यकता हो, तो सहायता और सहयोग माँगना कमज़ोरी की नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता की निशानी है।
कहानी अच्छी लगे तो Like और Comment जरुर करें। यदि पोस्ट पसन्द आये तो Follow & Share अवश्य करें ।
जय श्रीराम