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मुफ्त मे कुछ नहीं होता

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मुफ्त कुछ नहीं होता

‘जब कोई चीज मुफ्तमें मिल रही है तो समझ लीजिये, आपको अपनी स्वतन्त्रता देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी!’

डेसमंड टूटूने एक बार कहा था, ‘जब मिशनरी अफ्रीका आये तो उनके पास बाइबिल थी और हमारे पास जमीन। उन्होंने कहा, ‘हम तुम्हारे लिये प्रार्थना करने आये हैं।’ हमने आँखें बन्द कर लीं और जब खोलीं तो हमारे हाथमें बाइबिल थी और उनके पास जमीन।’

इसी तरह जब सोशल नेटवर्किंग साइट्स आयीं तो उनके पास फेसबुक और व्हाट्सएप थे और हमारे पास स्वतन्त्रता और निजता थी। उन्होंने कहा, ‘ये मुफ्त है।’ हमने आँखें बन्द कर लीं और जब खोलीं तो हमारे पास फेसबुक और व्हाट्सएप थे और उनके पास हमारी स्वतन्त्रता और निजी जानकारियाँ।

जब भी कोई चीज मुफ्त होती है, तो उसकी कीमत हमें अपनी स्वतन्त्रता देकर चुकानी पड़ती है। ज्ञानसे शब्द समझमें आते हैं और अनुभवसे अर्थ!! परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि विज्ञानकी यह भेंट अनुपयोगी है। पौष्टिक भोजन भी सीमित मात्रामें ही गुणकारी होता है। ‘अति सर्वत्र वर्जयेत् ।’

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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