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प्रेम की ताकत

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प्रेम की ताकत

एक बार एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई, उन्होंने जाते वक्त सुनार से बोला मैं जा रही हूँ और मेरी जगह नुकसान (हानि) आ रहा है, तैयार  हो जाओ। लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ मांगो जो भी इच्छा  हो।

सुनार बहुत समझदार  था उसने विनती की नुकसान आए तो आने  दो लेकिन  उससे कहना की मेरे परिवार  में आपसी  प्रेम  बना रहे बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा और चली गईं।

कुछ दिन के बाद :-सुनार की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी। तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई। इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर  चली गई फिर उनकी सास ने भी ऐसा किया।

शाम को सबसे पहले सुनार आया। जैसे ही पहला निवाला मुह में लिया, देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया नुकसान (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया।

इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुह में लिया। पूछा पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?….सभी ने उत्तर दिया- “हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।”

अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ। इस प्रकार घर के अन्य  सदस्य  एक -एक आए। पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए।

रात को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर सुनार से कहने लगा  – “मै जा रहा हूँ।”

सुनार ने पूछा – क्यों ?

तब नुकसान (हानि) कहता है, “आप लोग एक किलो तो नमक खा गए”…..लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।”

झगड़ा कमजोरी, हानि, नुकसान की पहचान है। जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी  का वास है। सदा प्यार -प्रेम  बांटते रहे। छोटे -बङे  की कदर करे । जो बङे हैं, वो बङे ही रहेंगे । चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो।  परिवार की एकता और प्यार ही खुशी की सबसे बड़ी पूंजी है। मिल जुलकर रहे ।एक दूसरे के प्रति प्रेम सौहार्द बनाए रखे।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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