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एयर डिफेंस सिस्टम

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एयर डिफेंस सिस्टम

एयर डिफेंस सिस्टम भगवान राम के समय में भी थे..❗️ रावण ने भी यह सिस्टम एक्टिवेट किए हुए थे और जिसका वर्णन श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया है…..साथ ही तब रडार से बचकर निकलने की विधा भी उन्नत तरीके से विद्यमान थी.. उसका भी वर्णन आपको श्रीरामचरितमानस में देखने को मिल जाता है।

सुंदरकांड में इसका वर्णन आता है। रावण ने अपना एयर डिफेंस सिस्टम अपनी नेवी (समुद्र) में फिट कर रखा था।
जैसे यह चौपाई…..

निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई।
करि माया नभ के खग गहई।।”

वह (सिंहिका) उड़ते जीवों की पानी पर पड़ती परछाई से उन्हें!पकड़ कर नष्ट कर डालती थी। तो तनिक विचार कीजिए कि जो जल के रास्ते लंका में प्रवेश करने की कोशिश करता होगा उसको कैसे छोड़ती होगी ?

अतिरिक्त सुरक्षा के लिए लंका और समुद्र के बीच थल सेना में भी सिस्टम था, नाम था लंकिनी। यह डिफेंस सिस्टम इतना एक्यूरेट था कि हवा का भी प्रवेश नहीं था। मच्छर तक को डिटेक्ट कर लेती थी।

उसे भी हनुमान जी ने उससे अधिक उत्तम और उन्नत टेक्नोलॉजी से ध्वस्त कर दिया था। तब लंकिनी ने ही सर्व प्रथम रावण के पराजय के संकेत दिए थे कि ….

विकल होई जब कपि के मारे
तब जानेसु निशिचर संहारे।

उसे ब्रह्माजी ने वर दिया था कि जब तेरा यह डिफेंस सिस्टम समाप्त हो जाएगा तो समझना कि लंका का और रावण का पराभव निकट हैं । तब सबसे उन्नत तकनीक हनुमान जी के पास विद्यमान थी।
हनुमानजी ने ड्रोन,मिसाइल, मैसेंजर,डोजियर,सब के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर “ज्ञानीनामग्रगण्यं” नाम को सार्थक किया था।

हनुमान जी ने आल इन वन बनकर रावण के सारे सिस्टम ध्वस्त कर दिए थे। लंका के एयर डिफेन्स सिस्टम से कई गुना उन्नत अयोध्या का सिस्टम था।*
अयोध्या का स्काई डिफेंस अधिक एक्टिव था।तभी तो संजीवनी लाते हनुमान को भरत जी के आयुध ने रोक लिया था।
यहां पर एक बात गौर करने लायक है कि उस समय के साधारण से धनुष बाण आदि हथियार इतने माइक्रो लेवल के थे कि उन्हें स्वयं ही धारण कर युद्ध के मैदान में उतरा जा सकता था।

दिखावे के ये आयुध अस्त्र-शस्त्र साधारण थे मगर इनकी मारक क्षमता सदैव सक्रिय रहती थी।
*भारत के उन्नत ज्ञान और तकनीक पर हमें गर्व करना चाहिए।
*जय श्रीराम*

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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