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मातृ देवों भव्:

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मातृ देवो भवः

माँ सृजन करती है इसलिए वह ब्रह्माणी है। माँ पालन करती है इसलिए वह वैष्णवी है और अपने बच्चों में संस्कारों को सृजित कर दुर्गुणों का नाश करती है इसलिए माँ ही रुद्राणी है। माँ का प्यार दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ प्यार है, माँ का त्याग दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ त्याग है। माँ का बलिदान दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ बलिदान है, माँ की सीख दुनियाँ की सर्वश्रेष्ठ सीख है और माँ की गोद दुनियाँ का सबसे सुरक्षित और शीतल स्थान है।

कभी मंदिर ना जा सको तो कोई बात नहीं बस माँ के चरणों में बैठ जाया करना और कभी माथे पर चंदन ना लगा सको तो कोई बात नहीं बस माँ के चरणों की पवित्र रज माथे पर लगा लेना इससे बढ़कर कोई दूसरा सौभाग्य नहीं हो सकता है।

सारे तीर्थ करने के बावजूद भी यदि सबसे बड़े तीर्थ माँ-बाप की सेवा से वंचित रह गये तो फिर समझ लेना कि सब व्यर्थ ही गया है।

करुणा, प्रेम और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति सर्वदेव और सर्ववेद वंदिता माँ के श्री चरणों को समर्पित

मातृ दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

जय श्रीराम

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Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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