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एक सच्चा योद्धा

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एक सच्चा योद्धा

यह घटना सन् 1492 की है, जब कोलम्बस अपनी महान यात्रा पर निकलने वाला था। चारों तरफ नाविकों में हर्षोल्लास का वातावरण था, परन्तु गांव का ही एक युवक फ्रोज बहुत ही डरा हुआ था और वह नहीं चाहता था कि कोलम्बस और उनके साथी इस खतरनाक और दुस्साहसी यात्रा के मिशन पर जायें ? इसलिए वह नाविकों के मन में समुद्री यात्रा के प्रति डर उत्पन्न कर देना चाहता था।

एक बार फ्रोज की मुलाकात पिजारो नाम के साहसी युवा नाविक से हुई। फ्रोज ने उससे मिलते ही सोचा कि यह एक अच्छा मौका है। पिजारो को डराया जाए और उसने इसी नियत से पिजारो से पूछा, तुम्हारे पिता की मृत्यु कहां हुई थी ?

दुःखी स्वर में पिजारो ने कहा- समुद्री तूफान में डूबने के कारण।

और तुम्हारे दादाजी की ?

वे भी समुद्र में डूबने से मरे।

और तुम्हारे परदादाजी, वे कैसे मरे हैं?

उनकी मौत भी समुद्र में डूबने से हुई थीं।

अफसोस जाहिर करते हुए पिजारो ने जवाब दिया। इस पर हंसकर ताना मारते हुए फ्रोज ने कहा- “हद कर दिया। जब तुम्हारे सारे पूर्वज समुद्र में डूबकर मरे, तो तुम क्यों मरना चाहते हो ?”

मुझे तो तुम्हारी बुद्धि पर तरस आता है कि इतना कुछ होने के बावजूद तुम नहीं सुधरे ?…..पिजारो को फ्रोज की गलत मंशा को भांपते देर न लगी। उसने तुरन्त सम्भलते हुए फ्रोज से पूछा- अब तुम बताओ कि तुम्हारे पिताजी कहां मरे ?

बहुत आराम से, अपने बिस्तर पर। मुस्कुराते हुए फ्रोज ने कहा।

और तुम्हारे दादा जी ?

वे भी अपने पलंग पर मरे।

और तुम्हारे परदादा जी ?

प्रायः उसी तरह अपनी खाट पर। गर्व से भरकर फ्रोज ने उत्तर दिया।

अब तंज कसते हुए पिजारो ने कहा अच्छा, जब तुम्हारे समस्त पूर्वज बिस्तर पर ही मरे, तो फिर तुम अपने बिस्तर पर जाने की मूर्खता क्यों करते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगता ? इतना सुनते ही फ्रोज का खिला हुआ चेहरा उतर गया।

पिजारो ने उसे समझाया “मेरे मित्र, इस दुनिया में कायरों के लिए कोई स्थान नहीं है। साहस के साथ प्रतिकूल स्थितियों में जीना जिंदगी कहलाती है।”

शिक्षा:- कितनी बड़ी समस्या क्यों न हो जब तक हम डट कर उसका सामाना नहीं करते तब तक हम कोई भी उपलब्धि हासिल नहीं कर सकते। आप जितना आगे बढ़ेंगे आपका समस्याओं से सामना उतना ही होगा। समस्याओं का सामना करें तो वो छोटी हो जाती हैं और डर जाने से बड़ी हो जाती है।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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