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परशुरामय नमः

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परशुरामाय नमः

जब राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ बढ़ने लग जाये, राष्ट्र के ऊपर ही कुठाराघात होने लग जाये एवं सत्ता और व्यवस्था निरकुंश होकर निर्बल लोगों को सताने लग जाये तब एक ब्राह्मण और साधु की राष्ट्र व समाज के प्रति भूमिका को भगवान परशुराम जी के जीवन में देखनी चाहिए

भगवान परशुराम जी का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि राष्ट्र रक्षा, स्वरक्षा एवं धर्म रक्षा के लिए शास्त्र और शस्त्र दोनों ही परमावश्यक हैं। हमारे जीवन में शक्ति और क्षमा दोनों होनी चाहिये। दुर्बल के लिए क्षमा और अपराधियों के लिये दण्ड देने की सामर्थ्य हमारी भुजाओं में होनी ही चाहिए।

स्वयं की शांति का त्याग करके समाज में शांति और सद्भावना की स्थापना एवं आसुरी शक्तियों के दमन के लिए भगवान परशुराम ने अपने हाथों में परशु धारण किया। हमारी समस्त शक्ति का राष्ट्र हित में और समाज सेवा में लग जाना ही उसकी सार्थकता है, यही विप्र कुलभूषण भगवान परशुराम जी के जीवन की समाज को प्रमुख सीख है।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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