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मृदु व्यवहार

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मृदु व्यवहार

संत के पास एक व्यक्ति आया और बोला, ‘गुरुदेव, आप प्रवचन करते समय कहते हैं कि कटु से कटु वचन बोलने वाले के अंदर भी नरम हृदय हो सकता है। मुझे विश्वास नहीं होता।’
संत यह सुनकर गंभीर हो गए। उन्होंने कहा, ‘ मैं इसका जवाब कुछ समय बाद ही दे पाऊंगा।’ व्यक्ति लौट गया

एक महीने बाद वह फिर संत के पास पहुंचा। उस समय संत प्रवचन दे रहे थे। वह लोगों के बीच जाकर बैठ गया। प्रवचन समाप्त होने के बाद संत ने एक नारियल उस व्यक्ति को दिया और कहा, वत्स, इसे तोड़कर इसकी गिरी निकाल कर लोगों में बांट दो।’ व्यक्ति उसे तोड़ने लगा। नारियल बेहद सख्त था। बहुत कोशिश करने के बाद भी वह नहीं टूटा। उसने कहा, ‘गुरुदेव, यह बहुत कड़ा है। कोई औजार हो तो उससे इसे तोड़ दूं।’ संत बोले, ‘औजार लेकर क्या करोगे? कोशिश करो, टूट जाएगा। वह फिर उसे औजार से तोड़ने लगा। इस बार वह टूट गया। उसने गिरी निकाल कर भक्तों में बांट दी। और एक कोने में बैठ गया। एक एक करके सभी भक्त चले गए। संत भी उठकर जाने लगे, तो उसने कहा,
‘गुरुदेव, अभी तक मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं मिला।’ संत मुस्कराकर बोले, ‘तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दिया जा चुका है। पर तुमने समझा नहीं। व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा, ‘मैं समझ नहीं पाया।’ संत ने समझाया, ‘देख जिस तरह कठोर गोले में नरम गिरि होती है। उसी प्रकार कठोर से कठोर व्यक्ति में भी नरम हृदय ही है। उसे भी एक विशेष औजार से निकालना पड़ता है। वह औजार है, प्रेमपूर्ण व्यवहार। यदि किसी के कठोर आचरण या वचन का जवाब स्नेह से दिया जाए तो उसके भीत का नरम हृदय बाहर आ जाता है। वह खुद भी मृदु व्यवहार करने लगता है।’

सीख- मृदु व्यवहार कठोर हृद को भी कोमल बना सकता है।

आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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