एक व्यापारी जिसका व्यापार डूब गया था, वह अपनी जिंदगी से बुरी तरह थक -हार चुका था! परेशान होकर जंगल में गया और बहुत देर तक अकेले बैठा रहा । कुछ सोचकर,वह भगवान को संबोधित करते हुए बोला -‘भगवान मैं हार चुका हूं,मुझे कोई एक वजह बताइए, कि मैं जीवित रहूं। मेरा सब खत्म हो गया है। मेरी मदद करिए।।’
भगवान ने जवाब दिया। तुम जंगल में इस घास और बांस के पेड़ को देखो। जब मैंने घास और बांस के बीज लगाए, तो दोनों की अच्छे से देखभाल की,एक सा पानी और रोशनी दी…। पर घास जल्दी बड़ी होने लगी और धरती को हरा भरा कर दिया, लेकिन बांस का बीज बड़ा नहीं हुआ। पर मैंने बांस के लिए हिम्मत नहीं हारी…।
दूसरे साल घास और घनी हो गई,लेकिन बांस का बीज नहीं ऊगा । मैंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी…।
तीसरे साल भी बांस के बीज में कोई अंकुर नहीं निकला। मित्र !मैंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी…।
चौथे साल बांस के बीच में अंकुर नहीं आए। मैं नाराज नहीं हुआ ! 5 साल बाद उस बांस के बीज से एक छोटा सा पौधा अंकुरित हुआ, जो घास की तुलना में बहुत छोटा था, और कमजोर था । लेकिन केवल 6 महीने बाद यह छोटा सा पौधा 100 फीट लंबा हो गया…।
मैने इस बांस की जड़ को विकसित करने के लिए 5 साल का समय लगाया। इन 5 सालों में इसकी जड़ इतनी मजबूत हो गई कि 100 फीट ऊंचे बांस को संभाल सकें…।
जब भी हमारे जीवन में संघर्ष करना पड़े तो समझिये कि, हमारी जड़ मजबूत हो रही है । हमारा संघर्ष हमे को मजबूत बना रहा है, जिससे कि हम आने वाले कल को सबसे बेहतरीन बना सके…।’
मैंने बांस के संदर्भ में में हार नहीं मानी…। मैं तुम्हारे विषय में भी हार नहीं मानूंगा…। किसी दूसरे से अपनी तुलना मत करो। घास और बांस दोनों के बड़े होने का समय अलग अलग है,दोनों का उद्देश्य अलग-अलग है …।
हमारा भी समय आएगा, हम भी एक दिन बांस के पेड़ की तरह आसमान छुएंगे । मैंने हिम्मत नहीं हारी। तुम भी मत हारो…।
शिक्षा:-हमे अपनी जिंदगी में संघर्ष से नही घबराना चाहिए,यही संघर्ष हमारी सफलता की जड़ों को मजबूत करेगा। हमेशा अपने छोटे-छोटे प्रयासों को जारी, रखें सफलता एक ना एक दिन अवश्य मिलेगी…।
जय श्रीराम
