लालची चिड़िया
एक जंगल में पक्षियों का एक बड़ा सा दल रहता था। रोज सुबह सभी पक्षी भोजन की तलाश में निकलते थे। पक्षियों के राजा ने अपने पक्षियों को कह रखा था कि जिसे भी भोजन दिखाई देगा वह आकर अपने बाकी साथियों को आकर बता देगा और फिर सभी पक्षी एक साथ मिलकर दाना खाएंगे। इस तरह उस दल के सभी पक्षियों को भरपूर खाना मिल जाता था।
एक दिन भोजन की तालश में एक चिड़िया उड़ते-उड़ते काफी दूर निकल गयी। जंगल के बाहर रास्ते तक आ गई। इस रास्ते से गाड़ियों में अनाज के बोरे मण्डी जाया करते थे। रास्ते में काफी सारा अनाज गाड़ियों से नीचे गिरकर सड़क पर बिखर जाता था। चिड़िया गाड़ियों में अनाज के भरे बोरे देखकर बहुत खुश हुई, क्योंकि अब उसे और कोई जगह तलाश करने की जरूरत ही नहीं थी। अनाज से भरी गाड़ियाँ वहां से रोज गुजरती थीं और अनाज के दाने सड़क पर बिखरते भी रोज थे। चिड़िया के मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि उस जगह के बारे में वह किसी को नहीं बतायेगी और रोज इसी जगह आकर पेट भर खाना खाया करेगी।
उस शाम को जब चिड़िया अपने दल में वापस पहुँची, तब उसके बाकी साथियों ने देरी से आने का कारण पूछा।
चिड़िया ने भी एक अनूठी झूठी कहानी सुना दी कि वह किसी तरह जान बचाकर आयी है। उस रास्ते से तो इतनी गाड़ियाँ गुजरती हैं रास्ता पार करना मुश्किल है। दल की बाकी चिड़िया यह सुनकर डर गयीं और सभी ने निश्चय कर लिया कि वह रास्ते के पास नहीं जाएंगी।
इस तरह वह चिड़िया रोज उसी रास्ते पर जाकर पेट भर दाना खाती रही। एक दिन चिड़िया रोज की तरह रास्ते पर बैठकर खाना खा रही थी। खाना खाने में वह इतनी मग्न थी कि उसे उसकी तरफ आती हुई गाड़ी की आहट सुनाई ही नहीं दी। गाड़ी भी तेजी से आगे बढ़ रही थी। चिड़िया दाना चुगने में मग्न थी, गाड़ी पास आ गयी और गाड़ी का पहिया चिड़िया को कुचलता हुआ आगे निकल गया।
इस तरह लालची चिड़िया अपने ही जाल में फँस गयी।
लालच बुरी बला है-कभी लालची मत बनो !.
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जय श्रीराम
Yes. Greed ultimately results into loss.