ईमानदार-विक्रेता
एक बार की बात है, दो विक्रेता राम और श्याम एक साथ दूर के एक शहर में आए। वे यहां वहां घूमकर हाथों से बने गहना बेचते थे। जब वे दोनों एक साथ शहर आए तो उन्होंने तय किया कि, हम दोनों शहर के अलग-अलग हिस्से में गहने बेचेंगे। इसके अलावा, एक बार एक विक्रेता शहर के उस हिस्से से गुजारने के बाद। दूसरा विक्रेता शहर के उस हिस्से में जाकर गहने बेच सकता हैं। फिर, शाम गहने बिक्री करने के लिए एक गली से गुजर रहा था। वहां एक छोटी लड़की ने शाम को गहने के साथ देखा और उसे खरीदना चाहती थी।
लड़की दौड़ कर अपनी दादी के पास के गई। और गहने खरीदने के लिए अपनी दादी से पैसा मांगी। दादी ने कहा, “हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम उचित भोजन खरीद सके। और मैं तुम्हारे लिए ब्रेसलेट कैसे खरीद सकती हूं?”
लड़की निराश हो गई थी। लेकिन, फिर भी अपने लिए एक ब्रेसलेट खरीदना चाहती थी। वह रसोई के अंदर गई और एक पुरानी काली प्लेट लेकर आई।
लड़की ने कहा, “दादी अगर हमारे पास पैसे नहीं है, तो क्या हम इस प्लेट के बदले में एक ब्रेसलेट नहीं खरीद सकते हैं?”….फिर, दादी ने विक्रेता को घर के अंदर आने के लिए कहा। शाम ने उसकी हालत देखी और समझ गया था कि वे बहुत गरीब है।
बूढ़ी औरत प्लेट को पकड़ते हुए कहा, “हमारे पास उसे खरीदने के लिए पैसे नहीं है। लेकिन आप इस प्लेट को ब्रेसलेट के बदले में ले सकते हैं।”
शाम उनके साथ ज्यादा समय बर्बाद करना नहीं चाहता था। उसने उस प्लेट को अच्छे से देखा कि यह सोने की बनी थी। फिर, वह बहुत लालची हो गया।
उसने मन ही मन सोचा, कि वह उस बूढ़ी औरत को धोखा दे सकता है। और बहुत कम मूल्य देखकर उस प्लेट को प्राप्त कर सकता है।
इसीलिए उसने एक योजना बनाई। कि वह अभी के लिए निकल जाएगा और बाद में वापस आएगा जब बह उस प्लेट के लिए और भी कम मूल्य स्वीकार करेंगे।
शाम ने कहा, “यह पुरानी और काली प्लेट एक ब्रेसलेट की लायक नहीं है। आपको इस प्लेट के बदले में कुछ नहीं मिलेगा।” और वहां से चला गया।
इस बीच, अन्य विक्रेता राम ने शहर का अपना हिस्सा समाप्त कर लिया। और अब शहर के दूसरे हिस्से की और चलने लगा। चलते चलते राम उसी बुढ़िया के घर पहुंच गया। विक्रेता को देखकर छोटी लड़की फिर से अपनी दादी के पास गई और ब्रेसलेट मांगी।
छोटी लड़की की खुशी के लिए दादी विक्रेता के पास जाकर प्लेट दिखाई। और कहां, “क्या आप मुझे इस प्लेट के बदले में एक ब्रेसलेट दे सकते हैं?”
राम ने प्लेट की जांच की और पाया यह सोने की बनी हुई थी। उसने उत्तर दिया, “मैम, मेरा सारा सामान इस प्लेट के लायक नहीं है। यह बहुत महंगा है।”
बूढ़ी औरत चौक गई। लेकिन, विक्रेता के इमानदार जवाब को देखकर उसने कहा, “यदि आप इस प्लेट का मूल्य जानते है। तो मे इस प्लेट के बदले में जो कुछ भी आप दे सकते हैं उसे स्विकार करूंगी।”
फिर, राम ने अपना सारा सामान और पैसा निकाला। और कहां, “मैम, मैं आपको यह सब सामान और सारे पैसे दूंगा। अगर आप मुझे शहर लौटने के लिए कुछ सिक्के रखने दे।”
बुढ़िया ने उसका प्रस्ताव स्विकार कर लिया। राम ने शहर लौटने के लिए सोने की प्लेट और कुछ सिक्के लेकर चला गया।
कुछ समय बाद, शाम ने सोने की प्लेट लेने के लिए उस बूढ़ी औरत के पास गया। और कहां, ” मैंने अपना मन बदल लिया। मैं आपको उस बेकार काली प्लेट के लिए, एक ब्रेसलेट दे सकता हूं।
बूढ़ी औरत उस विक्रेता से बहुत नाराज थी। फिर भी शांति से जवाब दिया, “तुमने हमसे झूठ बोला। तुम चले जाने के बाद, एक दूसरा विक्रेता आया और उसने हमें प्लेट का मूल्य बताया। और हमारे साथ व्यापार किया। वह प्लेट लेकर चला गया है, मुझे अब तुम्हारे साथ कोई लेना देना नहीं है।” शाम अब कुछ नहीं कर सकता था, उसके लालच ने उसे बहुत नुकसान पहुंचा है।
दूसरे को धोखा देना और लालची नहीं होना चाहिए, हमेशा इमानदारी से जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए।
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जय श्रीराम