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अभिमन्यु

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अभिमन्यु

महाभारत का युद्ध महज एक ऐतिहासिक संघर्ष नहीं था, बल्कि यह वीरता, बलिदान और त्रासदी की अनगिनत कहानियों का संग्रह है। इनमें से एक सबसे दर्दनाक और हृदयविदारक घटना अभिमन्यु की मृत्यु से संबंधित है। अभिमन्यु, जो अर्जुन और सुभद्राजी के सुपुत्र थे, महाभारत के युद्ध के एक महत्वपूर्ण नायक थे। उनकी मृत्यु की कहानी युद्ध की सबसे त्रासद घटनाओं में से एक मानी जाती है।

अभिमन्यु: एक वीर योद्धा:-अभिमन्यु को अर्जुन और सुभद्राजी का पुत्र मानकर उनकी वीरता और बलिदान की कहानियाँ प्रसिद्ध हैं। वह महज सोलह साल की उम्र में युद्ध के मैदान में कूद पड़े थे। अभिमन्यु ने अपनी बहादुरी और शक्ति से सभी को प्रभावित किया और युद्ध के मैदान में अपना साहस और कौशल साबित किया।

चक्रव्यूह और अभिमन्यु का साहस:- महाभारत के युद्ध के तेरहवें दिन, अभिमन्यु ने कौरवों द्वारा बनाए गए चक्रव्यूह को भेदने की ठानी। चक्रव्यूह एक जटिल और जटिल सैन्य formation था, जिसे भेदना मुश्किल था, और इसे केवल कुछ विशेष योद्धाओं द्वारा ही पूरा किया जा सकता था। अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में घुसने की क्षमता रखी थी, लेकिन उसे चक्रव्यूह से बाहर निकलने का ज्ञान नहीं था।

अभिमन्यु ने इस जटिल चक्रव्यूह में घुसकर उसके भीतर भीषण युद्ध किया। उन्होंने एक-एक करके कौरवों के कई प्रमुख योद्धाओं को पराजित किया। उनकी वीरता और साहस ने युद्ध के मैदान में सभी को चकित कर दिया। लेकिन, दुर्भाग्यवश, उनकी वीरता और निडरता कौरवों के दुष्ट और निरंकुश योजनाओं के सामने बेकार साबित हुई।

अभिमन्यु की मृत्यु: एक कूटनीतिक संहार:-अभिमन्यु की मृत्यु की घटना अत्यंत हृदयविदारक और क्रूर थी। कौरवों ने, विशेषकर दुर्योधन, कर्ण, दु:शासन, अश्वत्थामा, और कृपाचार्य जैसे योद्धाओं ने मिलकर अभिमन्यु पर हमला किया। ये सभी योद्धा मिलकर अभिमन्यु को चारों ओर से घेरते हुए एक साथ आक्रमण करने लगे।

अभिमन्यु ने अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए, इस आक्रमण का मुकाबला किया, लेकिन युवा होते हुए और चक्रव्यूह से बाहर निकलने के तरीके से अज्ञात होने के कारण वह अकेले ही इन सभी कौरव योद्धाओं का सामना कर रहे थे। अंततः, इन सभी कौरव योद्धाओं ने मिलकर अभिमन्यु पर एक साथ हमला किया और उसे निर्दयतापूर्वक मार डाला।

निष्कर्ष:-अभिमन्यु की मृत्यु महाभारत के युद्ध की सबसे त्रासद घटनाओं में से एक मानी जाती है। यह घटना न केवल उनके वीरता और बलिदान को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि युद्ध के मैदान में कैसे निर्दयता और असंवेदनशीलता के कारण एक नायक की मृत्यु हो सकती है। अभिमन्यु की कहानी युद्ध की भयावहता और मानवता की सीमा को उजागर करती है, और यह हमें याद दिलाती है कि वीरता और बलिदान की कहानियाँ हमेशा अमर रहती हैं।

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जय श्रीराम

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Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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