भगवान कहाँ रहते हैं
एक ब्राह्मण था, वह घरों पर जाकर पूजा पाठ कर अपना जीवन यापन किया करता था। एक बार उस ब्राह्मण को नगर के राजा के महल से पूजा के लिये बुलावा आया। वह ब्राह्मण राजमहल का बुलावा पाकर खुशी-खुशी पूजा करने गया। पूजा सम्पन्न कराकर जब ब्राह्मण घर को आने लगा, तब राजा ने ब्राह्मण से एक सवाल किया, “हे ब्राह्मण देव ! आप भगवान की पूजा करते हैं तो यह बताये की भगवान कहाँ रहते हैं ? उनकी नजर किस ओर है, और भगवान क्या कर सकते हैं ?”…..
राजा के प्रश्न सुन ब्राह्मण अचंभित हो गया और कुछ समय विचार करने के बाद राजा से कहा, “हे राजन ! इस सवाल के जवाब के लिए मुझे समय दीजिए।” राजा ने ब्राह्मण को एक माह का समय दिया। ब्राह्मण प्रतिदिन इसी सोच में उलझा रहता कि इसका जवाब क्या होगा। ऐसा करते-करते समय बीतता गया और कुछ ही दिन शेष रह गये। समय बीतने के साथ ब्राह्मण की चिंता भी बढ़ने लगी और जवाब नही मिलने के कारण ब्राह्मण उदास रहने लगा।
एक दिन ब्राह्मण को चिंतित देख ब्राह्मण के पुत्र ने कहा पिता जी आप इतने उदास क्यों हैं। तब ब्राह्मण ने कहा, “बेटा ! कुछ दिनों पहले में पूजा कराने राजमहल गया हुआ था, पूजा सम्पन्न कराकर जब मैं वापस आ रहा था तब राजा ने मुझसे एक सवाल पूछा था। राजा ने कहा था कि भगवान कहाँ रहते हैं ? भगवान क्या कर सकते हैं और भगवान की नजर किस ओर है। राजा के सवाल का जवाब मुझे उस समय नही सुझा तो मैने उनसे कुछ समय मांगा था, जिसके जवाब के लिये राजा ने मुझे एक माह की समय दिया था और वह एक माह बीतने वाला है लेकिन इसका जवाब मेरे पास नही है, इसलिए मैं चिंतित हूँ।” ब्राह्मण की बात सुनकर उनका पुत्र बोला, “पिताजी ! इसका जवाब मैं राजा को दूँगा। आप मुझे साथ ले चलिये।”
एक माह पूरा हुआ तब ब्राह्मण अपने पुत्र को लेकर राजमहल गया और राजा से कहा, “हे राजन ! आपके सवाल का जवाब मेरा पुत्र देगा।” राजा ने ब्राह्मण के पुत्र से वही सवाल पूछा बताओ भगवान कहाँ रहते हैं, भगवान की नजर किस ओर है तथा भगवान क्या कर सकते हैं ?
उस ब्राह्मण पुत्र ने राजा से कहा, “हे राजन ! क्या आपके राज्य मे पहले अतिथि का आदर सम्मान नही किया जाता।” यह सुन राजा को थोड़ा लज्जित महसूस हुआ। पहले उस बालक को आदर सत्कार के साथ स्थान दिया गया फिर पीने हेतु सेवक दूध का गिलास लाया गया। वह बालक दूध के गिलास पकड़कर दूध में अंगुली डालकर घुमाकर बार-बार दूध को बाहर निकालकर देखने लगा। यह देख राजा ने पूछा, “ये क्या कर रहे हो ?”….. बालक ने कहा, “सुना है दूध में मक्खन होता है। मैं वही देख रहा हूँ कि दूध में मक्खन कहाँ है ? आपके राज्य के दूध से तो मक्खन ही गायब है।” राजा ने कहा, “दूध में मक्खन होता है, परन्तु वह ऐसे दिखाई नहीं देता। जब दूध को जमाकर दही बनाया जाता है, और फिर दही को मथा जाता हैं तब जाकर मक्खन प्राप्त होता है।”
ब्राह्मण के पुत्र ने कहा, “महाराज ! यह आपके पहले सवाल का जवाब है। जिस तरह दूध से दही और फिर दही को मथने से मक्खन प्राप्त होता है, उसी प्रकार परमात्मा प्रत्येक जीव के अन्दर विद्यमान होते है। परन्तु उन्हें पाने के लिये सच्ची भक्ति की आवश्यकता होती है। मन से ध्यानपूर्वक भक्ति करने पर आत्मा में छुपे हुए परमात्मा का आभास होता है।”
राजा ब्राह्मण के पुत्र के जवाब से खुश हुआ और कहा अब मेरे दूसरे सवाल का जवाब दो, भगवान किस ओर देखते हैं ? उस बालक ने कहा, “राजन ! इसका जवाब मैं दूँगा परन्तु मुझे इसके लिये एक मोमबत्ती की आवश्यकता है।” राजा ने तुरन्त मोमबत्ती मंगाई और उस बालक को दिया।उस बालक ने मोमबत्ती को जलाकर कहा, “राजन ! आप बताये, इस मोमबत्ती की रोशनी किस ओर है ?” राजा ने कहा, “इसकी रोशनी चारों दिशा में एक समान है।” तब उस बालक ने कहा, “हे राजन ! यही आपके दूसरे सवाल का जवाब है। क्योंकि परमात्मा सर्वदृष्टा हैं और उनकी नजर सभी प्राणियों के कर्मों की ओर परस्पर रहती है।” राजा उस बालक को जवाब से अत्यधिक प्रसन्न हो गये। अब तो वे अन्तिम प्रश्न के उत्तर दे लिये और भी उत्सुक हो उठे।
राजा ने कहा, “मेरे अन्तिम सवाल का जवाब दो कि भगवान क्या कर सकते हैं ?” बालक ने कहा, ‘हे राजन ! मैं इस सवाल का उत्तर अवश्य दूँगा परन्तु इसके लिये मुझे आपकी जगह पर और आपको मेरी जगह पर आना होगा।” राजा को तो उत्तर जाने की उत्सुकता थी वो अपनी सहमति दे दिये। वह बालक राजा के सिहासन पर जा बैठा और कहा, “राजन ! आपके अन्तिम सवाल का जवाब यह है, आपने कहा था कि भगवान क्या कर सकते हैं तो भगवान यह कर सकते कि मुझ जैसे रंक को राज सिहासन पर बैठा सकते हैं और आप जैसे राजा को मुझ जैसे सवाली के स्थान पर, अर्थात राजा को रंक और रंक को राजा बना सकते हैं यह आपके अन्तिम सवाल का जवाब है।”
राजा उस ब्राह्मण पुत्र के जवाब से अत्यधिक प्रसन्न हुए और उसे अपना सलाहकार बना लिया। भगवान हर एक जीव के ह्रदय में निवास करते हैं। परमात्मा के साथ प्रेम करेंगे तो वह आपको सही मार्ग दिखाएंगे। इसलिए हर जीव को पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन करना चाहिए। जिससे आप अपने अन्दर की उस शक्ति से जुड़ सकें जो आपके भीतर ही मौजूद है लेकिन आप उसे पहचान नहीं पा रहे..!!
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जय श्रीराम