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लक्ष्य से भटकाव

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सफलता के लिए सही निर्णय

एक किसान के घर एक दिन उसका परिचित मिलने आया किसान उस समय घर पर नहीं था उसकी पत्नी ने कहा वह खेत पर गए हैं मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूँ तब तक आप इंतजार करें। कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुँचा। उसके साथ-साथ उसका पालतू कुत्ता भी आया। कुत्ता जोरों से हांफ रहा था उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा… क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है ?……किसान ने कहा नहीं, पास ही है लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ?…उस व्यक्ति ने कहा मुझे यह देख कर आश्चर्य हो रहा है कि तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए…लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।

किसान ने कहा: मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है। मैं थका नहीं हूँ मेरा कुत्ता थक गया है।  इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूँ , मगर कुत्ता अपनी भौंकता आदत से मजबूर है वह आसपास दूसरे कुत्ते देखकर उनको भगाने के लिए उसके पीछे दौड़ता था और हुआ वापस मेरे पास आ जाता था। फिर जैसे ही उसे और कोई कुत्ता नजर आता, वह उसके पीछे दौड़ने लगता।  अपनी आदत के अनुसार उसका यह क्रम रास्ते भर जारी रहा। इसलिए वह थक गया है।

देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है। जीवन के लक्ष्य तक पहुँचना यूँ तो कठिन नहीं है, लेकिन राह में मिलने वाले कुत्ते, व्यक्ति को उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रहे हैं। इंसान अपने लक्ष्य से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है। यह लक्ष्य प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। आपकी ऊर्जा को रास्ते में मिलने वाले कुत्ते बर्बाद करते है।

भौंकने दो कुत्तों को और लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सीधे बढ़ते रहो.. फिर एक ना एक दिन मंजिल मिल ही जाएगी। लेकिन इनके चक्कर में पड़ोगे तो थक ही जाओगे। अब ये आपको सोचना है कि किसान की तरह सीधी राह चलना है या उसके कुत्ते की तरह।

सफलता के लिए सही समय की नहीं, सही निर्णय की जरूरत होती है।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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