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मेरा हमसफर लौट आया है

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मेरा हमसफर लौट आया है

योगेश ट्रेन की जनरल बोगी में बर्थ सीट पर सोया हुआ था । गाडी रूककर वापस चली तो अचानक उसकी नजर अपनी तलाकशुदा पत्नी रागिनी पर पडी । पता नहीं कब वह उसके सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई थी । 6 साल बाद वह उसे देख रहा था । वह बहुत कमजोर हो गई थी । उसने पुरानी सस्ती सी साडी पहन रखी थी।ना माथे पर बिंदी और ना गले में मंगलसूत्र था । तो क्या उसने अभी तक दूसरा विवाह नहीं किया । क्या अभी तक वह मेरी तरह अकेली ही है ।

योगेश ऐसा सोच ही रहा था कि तभी रागिनी की नजर उस पर पडी .नजरे मिली तो योगेश दूसरी तरफ देखने लगा । फिर पता नहीं योगेश के दिमाग में क्या आया कि वह सीट से नीचे उतर आया और रागिनी के पास बैठे लडके से कहा कि वह ऊपर वाली सीट पर चला जाये । लडका मान गया तब योगेश रागिनी के पास बैठ गया ।

बैठते ही योगेश बोला ” रागिनी कैसी हो ?”

रागिनी ने नजर न मिलाते हुए खिडकी की तरफ देखते हुए बोला कि ” मैं ठीक हूँ और आप? “…..योगेश बोला मैं भी ठीक हूँ और कानपुर जा रहा हूँ । त्यौहार होने के कारण रिजर्वेशन सीट नहीं मिली । इस कारण जनरल बोगी में आना पडा । तुम कहां जा रही हो ?….

  वह बोली मैं भी कानपुर ही जा रही हूँ । आजकल माँ वही बडे भईया के पास ही है । बीमार है इसलिए मिलने जा रही हूँ । काफी देर दोनों चुप रहे । फिर योगेश बोला ” एक बात पूछूँ ?”…..रागिनी ने आँखों से ही पूछा क्या?…….योगेश संकोच करते हुए पूछा ” अभी तक शादी क्यों नहीं की ?………वह कुछ नहीं बोली ।

 मगर जब योगेश ने दोबारा नहीं पूछा तो रागिनी ने पूछा ” …आपने की है शादी “….            योगेश ने भी बिना बोले ना में गर्दन हिला दी । फिर काफी देर तक दोनों चुप रहे । मानो एक दूसरे को परख रहे थे ।

डिब्बे में कुल्फी बेचने वाला आ गया था । योगेश बोला खाओगी  रागिनी ने ना में सिर हिला दिया । योगेश ने रिक्वेस्ट करते हुए फिर पूछा ” खा लो यार , तुम्हारे साथ मैं भी खा लूंगा ” । जानता हूँ तुम्हारी सबसे बडी कमजोरी कुल्फी है । वह थोडा मुस्कुराई तो योगेश ने महसूस किया कि वह अपनी आँखों से बहने वाली आंसुओं को समेटने का प्रयास कर रही है ।

5 साल उसके साथ रहा था ,जब वह अपने आँसुओं को समेटने का प्रयास करती थी, तो ऐसे ही मुस्कुराया करती थी । योगेश दूसरी तरफ देखने लगा तो रागिनी चुपके से अपनी आँसुओ को पोछने लगी । फिर वह सहज होकर बोली ” एक शर्त पर खाउंगी “……योगेश बोला क्या शर्त है ?……..तो रागिनी बोली ” पैसे मैं दूंगी “

योगेश कुछ नहीं बोला फिर रागिनी ने दो कुल्फियां खरीद ली । और एक कुल्फी योगेश को देते हुए बोली ” अब मैं भी कमाने लगी हूँ , एक प्राइवेट स्कूल में पढाती हूँ , महीने के 10 हजार मिलते हैं । कुल्फी खाते हुए योगेश बोला ” तलाक के समय कोर्ट के आदेश पर मैं तुम्हें 30 लाख रूपये दे तो रहा था । अगर ले लेती तो अपना स्कूल खोल लेती । जबकि तुम बहुत स्वाभिमानी हो , इस जमाने में पैसे के बिना कुछ नहीं होता । वह हंस कर बोली अगर ले लेती तो अपनी जमीर को क्या जवाब देती । तो ये जमीर रोज कहता कि जिसे छोड कर आयी हो उसी के सहारे पल रही हो ।

योगेश बोला तुम बहुत अच्छी हो , मासूम हो । ये एहसास तुमसे तलाक लेने के बाद मुझे हुआ ।तुम यकीन नहीं करोगी ? मैं बहुत बदल गया हूँ । पीना बिल्कुल छोड दिया है , गुस्सा बिल्कुल नहीं करता । अब मैं किसी को नीचा दिखाने की कोशिश भी नहीं करता जो तुम्हें बहुत बुरा लगता था । वो सब बुरी आदतें मैने छोड दी है ।

वह उदास होकर बोली ” अब क्या फायदा ” जब मैं मना किया करती थी तब आप मेरी एक भी बात नहीं सुनते थे । आपके कारण मैं हमेशा टेंशन में रहती थी । इसी कारण मुझे दो बार गर्भपात भी हुआ | वरना आज मेरे भी दो बच्चे होते । एक 8 साल का हो गया होता और दूसरा 6 साल का होता । कहकर वो रो पडी ।

 बच्चों की बात पता चली तो योगेश के भी आंखों में आँसों आ गये लेकिन वह पुरूष था तो आँसुओं को पलकों तक पहुँचने से पहले ही पी गया और बोला ” कभी कभी लगता है मैं बहुत बुरा आदमी हूँ । मैने कभी रिश्तों की कदर नहीं की , उसी की सजा झेल रहा हूँ आज । बिल्कुल अकेला हो गया हूँ , अब मां भी नहीं रही ।”

मा के होने पर रागिनी को बडा दुख हुआ और बोली मा को भली चंगी छोड कर आयी थी , उनको क्या हो गया था । इस बार योगेश भावुकता वश अपने आँसुओं को नहीं रोक पाया और बोला वो तुम्हें हर दिन याद करती थी , बोलती थी बहु को वापस घर ले आओ । मैं उन्हें कैसे समझाता कि तलाक के बाद बहुएं वापस घर नहीं आती | फिर दोनों के बीच चुप्पी छा गई थी । कानपुर आ गया था ।   स्टेशन आने वाला था । योगेश बोला वापस कब जाओगी ?……

रागिनी बोली आज रात यही रूकूंगी , कल की सुबह की ट्रेन से वापस जाउंगी । फिर वही खडी हो गई , योगेश भी खडा हो गया और पूछा” कितने बजे वाली ट्रेन से वापस जाओगी “

रागिनी बोली हम गरीब लोग हैं ,रिजर्वेशन नहीं करा पता हैं , जनरल डिब्बे में सफर करते हैं | इसलिए जो भी ट्रेन मिलती है टिकट लेकर चढ जाते हैं ।  इतना कहकर वह नीचे उतर गई ।       योगेश अपना सूटकेस सम्हालता हुआ उसके पीछे लपका और बोला अगर मैं रिजर्वेशन की दो टिकटें ले लूं तो मुझे पता है कि तुम मेरे साथ नहीं चलोगी लेकिन मैं तुम्हारे साथ सफर करना चाहता हूँ । जनरल में ही चल लूंगा , बताओ कितने बजे यहां मिलोगी ?…..

रागिनी आटो में बैठती हुई बोली ” 9 बजे यहां मिलूंगी “फिर उसके देखते देखते आटो आँखों से ओझल हो गया । योगेश कानपुर दो दिन के लिए आया था मगर रागिनी का साथ पाने के लिए उसने अपना शेड्यूल बदल लिया । उसने जल्दी से अपने बिजनेस का काम पूरा किया और अगले दिन सुबह साढे 8 बजे ही स्टेशन आ गया । रागिनी 9 की जगह 10 बजे स्टेशन पहुँची । और बोली आप अभी तक यहीं पर हो , मैं सोच रही थी कि आप चले गये होंगे । रागिनी बहुत खुश थी । बोली मां अब बिल्कुल ठीक है ।

योगेश बोला मैं तुम्हारा भी टिकट ले आया हूँ । अब 30 रूपये के टिकट के लिए कुछ कहना मत । रागिनी हंसते हुए बोली अभी ट्रेन आने में आधा घंटा है , चलो तब तक कुल्फी खाते हैं। पैसे मैं दे दूंगी , हिसाब बराबर हो जायेगा । इतना कहकर वह फिर मुस्कुरा दी । वह जब भी मुस्कुराती थी योगेश की नजर उसके चेहरे पर ठहर जाती थी । फिर दोनों ने कुल्फी खायी और तब तक ट्रेन आ गयी और फिर से एक नया सफर शुरु हो गया मगर इस सफर में कुछ खास था । योगेश कुछ कहने के लिए तिलमिला रहा था ।मगर डर भी रहा था कि वह मना करा देगी तो । योगेश नोटिस कर रहा था कि रागिनी बडे भाई के घर से नई साडी पहन कर आई थी । वह बहुत सुन्दर लग रही थी । खिडकी से आ रही ठंडी हवा के झोंके से रागिनी के ललाट पर लटकी बालों की एक लडी झूम उठती है । उसे ऐसे देखकर योगेश के दिल में एहसास सा उठता है कि ये औरत कभी उसकी जिन्दगी थी मगर मैं इसे सम्हाल कर नहीं रख पाया । योगेश की मन:स्थिति से अनजान रागिनी बोली ” क्या हुआ आप गुमशुम से क्यों हो ?” । दोस्त बन कर ही सही कुछ बात तो कर लो । योगेश बोला मुझे दोस्ती नहीं चाहिए ।

रागिनी को झटका सा लगा , बोली ” फिर क्यों मेरे साथ सफर करने के लिए उतावले थे आप” योगेश बोला “मुझे तू चाहिए ” । हमेशा के लिए । जन्मों जन्मों के लिए । मेरे साथ हंसने के लिए , मेरे साथ रोने के लिए । वह इतनी जल्दी में ये सारी बातें बोला कि रागिनी बस उसके मुंह की ओर देखती रह गई । वह आगे बोला ” मैं गलत था , तुम्हारी कदर नहीं कर पाया ” ।

मगर तुम्हारे जाने के बाद मुझे मेरे गलतियों का एहसास हो गया है । मुझे माफ कर दो ” कहकर वह रो पडा । रागिनी चुप हो गई , बस उसके चेहरे की तरफ देखे जा रही थी । योगेश उसके दोनों हाथ पकड कर बोला ” मुझे माफ कर दे यार । मैं वादा करता हूँ अब कभी भी तुम्हारे आंसुओं की वजह नहीं बनूंगा । तू जो कहेगी वही करूंगा , प्लीज लौट आ । ” रागिनी ने माथे पर साडी थोडी सी पीछे सरकाई और बोली इधर देखिये जरा । ” योगेश ने देखा रागिनी ने मांग भर रखी थी । वह बोली मैं जानती थी आप यही सब करोगे । मैंने कल ही सोच लिया था कि अब अकेले चलने के दिन खत्म हो गये हैं । मेरा हमसफर लौट आया है । अब आगे का सफर उसी के साथ तय करना है । थक गई हूँ मैं अकेले चलते चलते । कहते हुए वह अजीब सी मुद्रा में मुस्कुराने लगी । योगेश बोला , मैं जानता हूँ जब तेरा दिल रोने को होता है तब तू ऐसे ही मुस्कुराती है । मत रोक इन आंसुओं को , इन्हें बह जाने दो । दिल हल्का हो जायेगा । इतना सुनते ही रागिनी का संयम जवाब दे गया । वह जोर जोर से रोने लगी , पूरे डिब्बे के लोग उन्हें देखने लगे । मगर रागिनी ने लोगों की परवाह नहीं की ।

 वह योगेश के कंधे पर सर रखकर रोती रही । कुछ देर बाद रागिनी का गांव आ गया । गाडी कुछ पल रूकी फिर चल पडी । रागिनी को अब वहां उतरना ही नहीं था । जिन्दगी में एक नया सफर फिर से शुरू हो गया । अब उसकी मंजिल मायका नहीं पिया का घर था । जो वर्षों से उसके उसके लौटने का इन्तजार कर रहा था । वह अब भी योगेश के कंधे पर सर रखी थी । आंखें बंद कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी , एक मासूम बच्चे की तरह ।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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