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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-320

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जय श्री राधे कृष्ण …..

सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान, सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान ।।

भावार्थ:– श्री रघुनाथ जी का गुण गान संपूर्ण सुंदर मंगलों का देनेवाला है । जो इसे आदर सहित सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज (अन्य साधन) के ही भव सागर को तर जायंगे…..!!

मासपारायण, चौबीसवाँ विश्राम

इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने पंचम: सोपान: समाप्त: ।।

कलियुग के समस्त पापों का नाश करनेवाले श्री रामचरितमानस का यह पांचवा सोपान समाप्त हुआ ।।(सुन्दरकाण्ड समाप्त)

🙏🌹जय जय श्री राम🌹🙏

कृपया अपने घर में ही भगवान श्री राम दरबार सहित बजरंगबली जी का स्मरण कर उन्हें प्रणाम करें..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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