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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-299

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जय श्री राधे कृष्ण …..

कह सुक नाथ सत्य सब बानी, समुझहु छाड़ि प्रकृति अभिमानी, सुनहु बचन मम परिहरि क्रोधा, नाथ राम सन तजहु बिरोधा ।।

भावार्थ:– शुक (दूत) ने कहा – हे नाथ! अभिमानी स्वभाव को छोड़ कर (इस पत्र में लिखी) सब बातों को सत्य समझिए । क्रोध छोड़ कर मेरा वचन सुनिए । हे नाथ! श्री राम जी से वैर त्याग दीजिये…. ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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