जय श्री राधे कृष्ण …..
“*रामानुज दीन्हीं यह पाती, नाथ बचाइ जुडा़वहु छाती, बिहसि बाम कर लिन्हीं रावन, सचिव बोलि सठ लाग बचावन ।।
भावार्थ:– (और कहा) श्री राम जी के छोटे भाई लक्ष्मण ने यह पत्रिका दी है । हे नाथ! इसे बचवा कर छाती ठंडी कीजिए । रावण ने हँस कर उसे बाएँ हाथ से लिया और मंत्री को बुलाकर वह मूर्ख उसे बँचाने लगा…… ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..