जय श्री राधे कृष्ण …..
“तासु बचन सुनि सागर पाहीं, मागत पंथ कृपा मन माहीं, सुनत बचन बिहसा दससीसा, जौं असि मति सहाय कृत कीसा ।।
भावार्थ:– उनके (आपके भाई) के वचन सुन कर वे (श्री राम जी) समुद्र से राह माँग रहे हैं, उनके मन में कृपा भरी है (इसलिए वह उसे सोखते नहीं) । दूत के यह वचन सुनते ही रावण खूब हँसा (और बोला) जब ऐसी बुद्धि है, तभी तो वानरों को सहायक बनाया है…….!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..