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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-281

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जय श्री राधे कृष्ण …..

की भइ भेंट कि फिरि गए श्रवन सुजसु सुनि मोर, कहसि न रिपु दल तेज बल बहुत चकित चित तोर ।।

भावार्थ:– उनसे तेरी भेंट हुई या वे कानों से मेरा सुयश सुन कर ही लौट गए ? शत्रु सेना का तेज और बल बताता क्यों नहीं ? तेरा चित्त बहुत ही चकित (भौंचक्का सा) हो रहा है…….!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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