जय श्री राधे कृष्ण …..
“की भइ भेंट कि फिरि गए श्रवन सुजसु सुनि मोर, कहसि न रिपु दल तेज बल बहुत चकित चित तोर ।।
भावार्थ:– उनसे तेरी भेंट हुई या वे कानों से मेरा सुयश सुन कर ही लौट गए ? शत्रु सेना का तेज और बल बताता क्यों नहीं ? तेरा चित्त बहुत ही चकित (भौंचक्का सा) हो रहा है…….!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..