जय श्री राधे कृष्ण …..
“करत राज लंका सठ त्यागी, होइहि जव कर कीट अभागी, पुनि कहु भालु कीस कटकाई, कठिन काल प्रेरित चलि आई ।।
भावार्थ:– मूर्ख ने राज्य करते हुए लंका को त्याग दिया। अभागा अब जौ का कीड़ा (घुन) बनेगा (जौ के साथ जैसे घुन भी पिस जाता है। वैसे ही नर – वानरों के साथ वह भी मारा जाएगा) । फिर भालू और वानरों की सेना का हाल कह, जो कठिन काल की प्रेरणा से यहां चली आई है……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..