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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-279

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जय श्री राधे कृष्ण …..

करत राज लंका सठ त्यागी, होइहि जव कर कीट अभागी, पुनि कहु भालु कीस कटकाई, कठिन काल प्रेरित चलि आई ।।

भावार्थ:– मूर्ख ने राज्य करते हुए लंका को त्याग दिया। अभागा अब जौ का कीड़ा (घुन) बनेगा (जौ के साथ जैसे घुन भी पिस जाता है। वैसे ही नर – वानरों के साथ वह भी मारा जाएगा) । फिर भालू और वानरों की सेना का हाल कह, जो कठिन काल की प्रेरणा से यहां चली आई है……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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