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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-272

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जय श्री राधे कृष्ण …..

प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ, अति सप्रेम गा बिसरि दुराऊ, रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने, सकल बांधि कपीस पहिं आने ।।

भावार्थ:– फिर वे प्रकट रूप में भी अत्यंत प्रेम के साथ श्री राम जी के स्वभाव की बड़ाई करने लगे। उन्हें दुराव (कपट वेष) भूल गया। तब वानरों ने जाना कि ये शत्रु के दूत हैं और वे उन सब को बांधकर सुग्रीव के पास ले आये……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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