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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-268

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जय श्री राधे कृष्ण …..

नाथ दैव कर कवन भरोसा, सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा, कादर मन कहुँ एक अधारा, दैव दैव आलसी पुकारा ।।

भावार्थ:– (लक्ष्मण जी ने कहा) हे नाथ ! दैव का कौन भरोसा ! मन में क्रोध कीजिए (ले आइए) और समुद्र को सुखा डालिए। यह दैव तो कायर के मन का एक आधार (तसल्ली देने का उपाय) है। आलसी लोग ही दैव – दैव पुकारा करते हैं…….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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