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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-267

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जय श्री राधे कृष्ण …..

सखा कही तुम्ह नीकि उपाई, करिअ दैव जौं होइ सहाई, मंत्र न यह लछिमन मन भावा, राम बचन सुनि अति दुख पावा ।।

भावार्थ:– (श्री राम जी ने कहा) हे सखा! तुमने अच्छा उपाय बताया । यही किया जाए, यदि दैव सहायक हों। यह सलाह लक्ष्मण जी के मन को अच्छी नहीं लगी। श्री राम जी के वचन सुनकर तो उन्होंने बहुत ही दु:ख पाया……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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