जय श्री राधे कृष्ण …..
“बरु भल बास नरक कर ताता, दुष्ट संग जनि देइ बिधाता, अब पद देखि कुसल रघुराया, जौं तुम्ह कीन्हि जानि जन दाया *।।
भावार्थ:– हे तात! नरक में रहना वरन् अच्छा है, परंतु विधाता दुष्ट का संग (कभी) न दे।
(विभीषण जी ने कहा) हे रघुनाथ जी ! अब आप के चरणों का दर्शन कर कुशल से हूँ, जो आप ने अपना सेवक जान कर मुझ पर दया की है……!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
