जय श्री राधे कृष्ण …..
“श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर,त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर ।।
भावार्थ:– मैं कानों से आप का सुयश सुनकर आया हूँ कि प्रभु भव (जन्म-मरण) के भय का नाश करने वाले हैं । हे दुखियों के दु:ख दूर करने वाले और शरणागत को सुख देने वाले श्री रघुवीर! मेरी रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये…….!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
