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जीवन में परेशानीयां तो लगी ही रहेंगी

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जीवन में परेशानीयां तो लगी ही रहेंगी

   एक व्यक्ति था. उसके पास नौकरी, घर-परिवार, रुपया-पैसा, रिश्तेदार और बच्चे सभी कुछ था। कहने का सार यह है उस व्यक्ति के पास किसी चीज़ की कोई कमी नही थी। अब जीवन है तो कुछ परेशानियां भी थी उसके जीवन में, जिससे हर पल वह जूझता ही रहता था। वह किसी भी तरह अपनी परेशानियों से मुक्ति चाहता था, कि जीवन में सुख-शांति से रह सके। एक बार किसी ने उसे बताया की नगर सीमा पर कोई बहुत बड़े संत ठहरे हुए है, जिनके पास हर समस्या और प्रश्न का हल है। इतना सुनते ही वह व्यक्ति भागा-भागा संत की कुटिया में पहुँचा. वहाँ भीड़ बहुत होने के कारण उसकी बारी आते-आते रात हो गई। उसने संत से पूछा, बाबा, मेरे जीवन की परेशानियां कैसे ख़त्म होगी? मैं भी सुख-शांति से जीवन जीना चाहता हूँ।

संत ने कहा, ”इसका उत्तर मैं कल सुबह दूंगा। तब तक तुम एक काम करो. मेरे साथ जो ऊँटों का रखवाला आया था वो बीमार हो गया। तुम आज की रात ऊँटों की देखभाल का जिम्मा ले लो. जब यह सभी ऊँट सो जायें, तब तुम भी सो लेना।

सुबह वह व्यक्ति संत के पास पहुँचा और कहने लगा, मैं तो रात भर जगा रहा, सो ही नही पाया. कभी कोई ऊँट खड़ा हो जाता है तो कभी कोई. एक को बिठाने का प्रयास करता हूँ तो दूसरा खड़ा हो जाता है। कई ऊँट तो बैठना ही नही चाहते तो कई ऊँट थोड़ी देर में अपने आप बैठ जाते है। कुछ ऊँटों ने तो बैठने में बहुत ही समय लिया। मैं तो सारी रात भाग-दौड़ ही करता रहा।

संत ने मुस्कुराहट के साथ कहा, यही तुम्हारे कल के प्रश्नों का उत्तर है. कल पूरी रात का घटनाक्रम तुम्हारा जीवन है। अगर ऊँटों को परेशानियां मान ली जायें, तो समझना आसान होगा कि जीवन में कभी भी किसी भी क्षण सारी परेशानियां ख़त्म नही हो सकती। कुछ ना कुछ हमेशा लगा ही रहेगा. लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल नही है कि हम जीवन का आनंद ही ना ले। हमें समस्याओं के बीच रहते हुए भी सुख के पल खोजने होंगे।

संत ने आगे कहा, अगर तुम्हारें जीवन में समस्याओं का ताँता लगा हुआ है तो उन्हें सुलझाने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन हर पल उनके पीछे ही नही भागना चाहिए. ऊँटों के व्यवहार से तुम जान गये होंगे कि कुछ समस्याएं कोशिशों से ख़त्म हो जाती है, तो कुछ अपने आप सुलझ जाती है, कुछ पे कोई असर नही होगा और कुछ समय के साथ धीरे-धीरे सुलझ जाएंगी।

लेकिन इस बीच कुछ नई समस्याएं भी जन्म लेगी, जिनका सामना भी ऐसे ही करना पड़ेगा और इस तरह जीवन चलता ही रहेगा। अब यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम इस बीच जीवन में आनंद लेते हो या समस्याओं के पीछे हैरान-परेशान व दुखी होकर भागते रहते हो।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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