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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-239

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जय श्री राधे कृष्ण …..

बहुरि राम छबिधाम बिलोकी, रहेउ ठटुकि एकटक पल रोकी, भुज प्रलंब कंजारुन लोचन, स्यामल गात प्रनत भय मोचन ।।

भावार्थ:– फिर शोभा के धाम श्री राम जी को देख कर वे पलक (मारना) रोक कर ठिठक कर (स्तब्ध हो कर) एकटक देखते ही रह गये । भगवान की विशाल भुजाएँ हैं, लाल कमल के समान नेत्र हैं और शरणागत के भय का नाश करने वाला सांवला शरीर है…!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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