जय श्री राधे कृष्ण …..
“उभय भाँति तेहि आनहु हँसि कह कृपानिकेत, जय कृपाल कहि कपि चले अंगद हनू समेत ।।
भावार्थ:– कृपा के धाम श्री राम जी ने हँस कर कहा – दोनों ही स्थितियों में उसे ले आओ । तब अंगद और हनुमान सहित सुग्रीव जी ‘कृपालु श्री राम जी की जय हो’ कहते हुए चले……. ।
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
