जय श्री राधे कृष्ण …..
“कह प्रभु सखा बूझिऐ काहा, कहइ कपीस सुनहु नरनाहा, जानि न जाइ निसाचर माया, कामरुप केहि कारन आया ।।
भावार्थ:– प्रभु श्रीराम जी ने कहा – हे मित्र! तुम क्या समझते हो (तुम्हारी क्या राय है) ? वानर राज सुग्रीव ने कहा – हे महाराज ! सुनिये, राक्षसों की माया जानी नहीं जाती । यह इच्छानुसार रूप बदलने वाला (छली) न जाने किस कारण आया है…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
