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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-228

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जय श्री राधे कृष्ण …..

कह प्रभु सखा बूझिऐ काहा, कहइ कपीस सुनहु नरनाहा, जानि न जाइ निसाचर माया, कामरुप केहि कारन आया ।।

भावार्थ:– प्रभु श्रीराम जी ने कहा – हे मित्र! तुम क्या समझते हो (तुम्हारी क्या राय है) ? वानर राज सुग्रीव ने कहा – हे महाराज ! सुनिये, राक्षसों की माया जानी नहीं जाती । यह इच्छानुसार रूप बदलने वाला (छली) न जाने किस कारण आया है…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

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Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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