जय श्री राधे कृष्ण …..
“एहि बिधि करत सप्रेम बिचारा, आयउ सपदि सिंधु एहिं पारा, कपिन्ह बिभीषनु आवत देखा, जाना कोउ रिपु दूत बिसेषा ।।
भावार्थ:– इस प्रकार प्रेम सहित विचार करते हुए वे शीघ्र ही समुद्र के इस पार (जिधर श्री रामचन्द्र जी की सेना थी) आ गये । वानरों ने बिभीषण को आते देखा तो उन्होंने जाना कि शत्रु का कोई खास दूत है…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
