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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-225

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जय श्री राधे कृष्ण …..

जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ, ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ ।।

भावार्थ:– जिन चरणों की पादुकाओं में भरत जी ने अपना मन लगा रखा है, अहा ! आज मैं उन्हीं चरणों को अभी जाकर इन नेत्रों से देखूँगा…….!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

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Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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