जय श्री राधे कृष्ण …..
“जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ, ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ ।।
भावार्थ:– जिन चरणों की पादुकाओं में भरत जी ने अपना मन लगा रखा है, अहा ! आज मैं उन्हीं चरणों को अभी जाकर इन नेत्रों से देखूँगा…….!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
