जय श्री राधे कृष्ण …..
“अस कहि चला बिभीषनु जबहीं, आयू हीन भए सब तबहीं, साधु अवग्या तुरत भवानी, कर कल्यान अखिल कै हानी ।।
भावार्थ:– ऐसा कह कर विभीषण जी ज्यों ही चले, त्यों ही सब राक्षस आयु हीन हो गये (उनकी मृत्यु निश्चित हो गई) । (शिवजी कहते हैं कि) हे भवानी, साधु का अपमान तुरंत ही संपूर्ण कल्याण की हानि (नाश) कर देता है…….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..