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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-220

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जय श्री राधे कृष्ण …..

सचिव संग लै नभ पथ गयऊ, सबहि सुनाइ कहत अस भयऊ ।।

भावार्थ:– (इतना कह कर) विभीषण अपने मंत्रियों को साथ लेकर आकाश मार्ग में गए और सबको सुना कर वे ऐसा कहने लगे।।

दो. – रामु सत्य संकल्प प्रभु सभा कालबस तोरि, मैं रघुबीर सरन अब जाउँ देहु जनि खोरि ।।

भावार्थ:– श्री राम जी सत्य संकल्प एवं सर्व समर्थ प्रभु हैं, और (हे रावण) तुम्हारी सभा काल के वश है। अतः मैं अब श्री रघुवीर की शरण जाता हूँ। मुझे दोष न देना……..!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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