जय श्री राधे कृष्ण …..
“सचिव संग लै नभ पथ गयऊ, सबहि सुनाइ कहत अस भयऊ ।।
भावार्थ:– (इतना कह कर) विभीषण अपने मंत्रियों को साथ लेकर आकाश मार्ग में गए और सबको सुना कर वे ऐसा कहने लगे।।
दो. – रामु सत्य संकल्प प्रभु सभा कालबस तोरि, मैं रघुबीर सरन अब जाउँ देहु जनि खोरि ।।
भावार्थ:– श्री राम जी सत्य संकल्प एवं सर्व समर्थ प्रभु हैं, और (हे रावण) तुम्हारी सभा काल के वश है। अतः मैं अब श्री रघुवीर की शरण जाता हूँ। मुझे दोष न देना……..!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..