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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-212

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जय श्री राधे कृष्ण …..

रिपु उतकरष कहत सठ दोऊ, दूरि न करहु इहाँ हइ कोऊ, माल्यवंत गृह गयउ बहोरी, कहइ बिभीषनु पुनि कर जोरी ।।

भावार्थ:– (रावण ने कहा), ये दोनों मूर्ख शत्रु की महिमा बखान रहे हैं । यहाँ कोई है ? इन्हें दूर करो न । तब माल्यवान तो घर लौट गया और विभीषण जी हाथ जोड़ कर फिर कहने लगे…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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