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श्री राम चरित मानस के कुछ रहस्य

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श्री राम चरित मानस के कुछ रहस्य

श्रीराम रावण युद्ध में श्रीराम विजय के पश्चात स्वर्ग के राजा देवराज इन्द्र ने वानर सेना पर अमृत वर्षा की थी, जिससे सभी वानर जीवित हो उठे थे। लंका पँहुचने पर हनुमान जी की भेंट सबसे पहले लंकिनि से नही, काल से हुई थी, जिसे रावण ने मुख्य द्वार पर पहरे पर लगा रखा था, हनुमान जी के भय से वह भाग खड़े हए। तब माँ पार्वती ने भगवान शिव से पूछा हे नाथ क्या ये हनुमान जी काल से भी अधिक शक्तिशाली हैं ?…..अब शिव जी अगर हनुमान जी की प्रशंसा करे तो वह स्वयं की ही प्रशंसा होगी….अतः शिव जी कहते हैं, हाँ महादेवी लेकिन..उमा न कछु कपि कै अधिकाई। प्रभु प्रताप जो कालहि खाई॥ गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी। कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी॥5॥

भावार्थ: (शिवजी कहते हैं-) हे उमा! इसमें वानर हनुमान की कुछ बढ़ाई नहीं है। यह प्रभु का प्रताप है, जो काल को भी खा जाता है। पर्वत पर चढ़कर उन्होंने लंका देखी। बहुत ही बड़ा किला है, कुछ कहा नहीं जाता।

यहाँ स्वयं भगवान शिव ने हनुमान जी के बल का वर्णन किया है। हनुमान जी के हाथ से रावण 3-4 बार प्राण दंड पाने से बचा था, लेकिन प्रभु श्रीराम आज्ञा नही थी इसलिए छोड़ दिया।

माता कौशल्या जी के सामने जब लंका विजय के पश्चात सबके बल शक्ति प्रदर्शन का वर्णन हो रहा था, तो माता कौशल्या ने भगवती सीता जी को सबसे अधिक शक्ति शाली बताया है।  शुपर्नखा के नाक की खबर सुनकर रावण पहचान गया था कि अब उसका उद्धार का समय आ चुका है, इसलिए वह ब्रह्माण्ड मे किसी के समझाए नही माना, क्योकि श्रीराम के हाथो मुक्ति का यही उपाय था।

   अद्भुत रामायण के अनुसार रावण के बाद एक और रावण का वध माता सीता द्वारा हुआ थी, जिसका नाम था सहस्त्रावण।  माता सीता के पास दिव्य दुर्लभ वस्त्र थे जो कभी मटमैले नही होते थे, जिन्हे माँ अनुसुइया ने दिया था। लंका प्रस्थान से पहले हनुमान जी समुद्र पर क्रोधित हो उठे और पूरा समुद्र सोखने के लिए दौड़ पड़े, श्री जामवंत जी के कहने पर रूक गए, क्योकि जामवंत जी राम-दल में सबसे वृद्ध थे।

सभी देवी देवताओ मे भगवान में हनुमान जी की आरती में उन्हे “लला” कहकर सम्बोधित किया गया है, क्योकि माता सीता उन्हे “लला” कहकर पुकारती थीं एवं माता सीता ने हनुमान जी को अपना पहला पुत्र माना है जिसकी स्वीकृति श्रीराम ने दी है। पूरे राम-दल में रावण किसी के बल की प्रशंसा नही करता सिवाय हनुमान जी के, हनुमान जी के बल की प्रशंसा स्वयं रावण ने की थी।

 कुम्भकर्ण छः महीने मे एक दिन के लिए उठता था, लेकिन वह उस एक दिन में कई प्रकार के अनुष्ठान करता था शक्तियाँ प्राप्त करने के लिए..!!

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

  • प्रभु कर पंकज कपि के सीसा, सुमरि सो दशा मगन गौरीसा ।
    सावधान कर मन पुनि संकर, कहन लगे कथा अति सुंदर।।

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