जय श्री राधे कृष्ण …..
“सरन गएँ प्रभु ताहु न त्यागा, बिस्व द्रोह कृत अघ जेहि लागा, जासु नाम त्रय ताप नसावन, सोइ प्रभु प्रगट समुझु जियँ रावन ।।
भावार्थ:– जिसे सम्पूर्ण जगत से द्रोह करने का पाप लगा है, शरण जाने पर प्रभु उस का भी त्याग नहीं करते । जिन का नाम तीनों तापों का नाश करने वाला है, वे ही प्रभु (भगवान) मनुष्य रुप में प्रकट हुए हैं । हे रावण! हृदय में यह समझ लीजिए….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
