lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-209

71Views

जय श्री राधे कृष्ण …..

सरन गएँ प्रभु ताहु न त्यागा, बिस्व द्रोह कृत अघ जेहि लागा, जासु नाम त्रय ताप नसावन, सोइ प्रभु प्रगट समुझु जियँ रावन ।।

भावार्थ:– जिसे सम्पूर्ण जगत से द्रोह करने का पाप लगा है, शरण जाने पर प्रभु उस का भी त्याग नहीं करते । जिन का नाम तीनों तापों का नाश करने वाला है, वे ही प्रभु (भगवान) मनुष्य रुप में प्रकट हुए हैं । हे रावण! हृदय में यह समझ लीजिए….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply