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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-207

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जय श्री राधे कृष्ण …….

गो द्विज धेनु देव हितकारी, कृपा सिंधु मानुष तनुधारी, जन रंजन भंजन खल ब्राता, बेद धर्म रच्छक सुनु भ्राता ।।

भावार्थ :– उन कृपा के समुद्र भगवान ने पृथ्वी, ब्राह्मण, गौ और देवताओं का हित करने के लिए ही मनुष्य शरीर धारण किया है । हे भाई! सुनिये, वे सेवकों को आनन्द देने वाले, दुष्टों के समूह का नाश करने वाले और वेद तथा धर्म की रक्षा करने वाले हैं……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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