जय श्री राधे कृष्ण …….
” गो द्विज धेनु देव हितकारी, कृपा सिंधु मानुष तनुधारी, जन रंजन भंजन खल ब्राता, बेद धर्म रच्छक सुनु भ्राता ।।
भावार्थ :– उन कृपा के समुद्र भगवान ने पृथ्वी, ब्राह्मण, गौ और देवताओं का हित करने के लिए ही मनुष्य शरीर धारण किया है । हे भाई! सुनिये, वे सेवकों को आनन्द देने वाले, दुष्टों के समूह का नाश करने वाले और वेद तथा धर्म की रक्षा करने वाले हैं……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
