जय श्री राधे कृष्ण …….
“जो आपन चाहै कल्याना, सुजसु सुमति सुभ गति सुख नाना, सो परनारि लिलार गोसाईं, तजउ चउथि के चंद कि नाईंं ।।
भावार्थ:– जो मनुष्य अपना कल्याण, सुन्दर यश, सुबुद्धि, शुभ गति और नाना प्रकार के सुख चाहता हो, वह हे स्वामी! पर-स्त्री के ललाट को चौथ के चन्द्रमा की तरह त्याग दे (अर्थात जैसे लोग चौथ के चन्द्रमा को नहीं देखते, उसी प्रकार पर-स्त्री का मुख ही न देखे)…….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
