जय श्री राधे कृष्ण …….
“पुनि सिरु नाइ बैठ निज आसन, बोला बच पाइ अनुसासन, जौ कृपाल पूँछिहु मोहि बाता, मति अनुरूप कहउँ हित ताता ।।
भावार्थ:– फिर वे सिर नवा कर अपने आसन पर बैठ गये और आज्ञा पाकर ये वचन बोले – हे कृपालु! जब आप ने मुझ से बात (राय) पूछी ही है तो हे तात! मैं अपनी बुद्धि के अनुसार आप के हित की बात कहता हूँ…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
