lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-192

64Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

रहसि जोरि कर पति पग लागी, बोली बचन नीति रस पागी, कंत करष हरि सन परिहरहू, मोर कहा अति हित हियँ धरहू ।।

भावार्थ:– वह एकांत में हाथ जोड़ कर पति (रावण) के चरणों लगी और नीति रस में पगी हुई वाणी बोली- हे प्रियतम! श्री हरि से विरोध छोड़ दीजिये । मेरे कहने को अत्यंत ही हित कर जान कर हृदय में धारण कीजिये……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply