जय श्री राधे कृष्ण …….
“जासु सकल मंगलमय कीती, तासु पयान सगुन यह नीती, प्रभु पयान जाना बैदेहीं, फरकि बाम अंग जनु कहि देहीं ।।
भावार्थ:– जिन की कीर्ति सब मंगलों से परिपूर्ण है, उन के प्रस्थान के समय शकुन होना, यह निति है (लीला की मर्यादा है) | प्रभु का प्रस्थान जानकी जी ने भी जान लिया । उनके बाएँ अंग फड़क – फड़क कर मानो कहे देते थे (कि श्री राम जी आ रहे हैं )…..!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
