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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-184

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जासु सकल मंगलमय कीती, तासु पयान सगुन यह नीती, प्रभु पयान जाना बैदेहीं, फरकि बाम अंग जनु कहि देहीं ।।

भावार्थ:– जिन की कीर्ति सब मंगलों से परिपूर्ण है, उन के प्रस्थान के समय शकुन होना, यह निति है (लीला की मर्यादा है) | प्रभु का प्रस्थान जानकी जी ने भी जान लिया । उनके बाएँ अंग फड़क – फड़क कर मानो कहे देते थे (कि श्री राम जी आ रहे हैं )…..!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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