lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-172

91Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

बार बार प्रभु चहइ उठावा, प्रेम मगन तेहि उठब न भावा, प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा, सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा ।।

भावार्थ:- प्रभु उनको बार – बार उठाना चाहते हैं, परन्तु प्रेम में डूबे हुए हनुमान जी को चरणों से उठना सुहाता नहीं । प्रभु का कर कमल हनुमान जी के सिर पर है । उस स्थिति का स्मरण करके शिव जी प्रेम मग्न हो गये…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply